अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला 'कल्पना चावला' की इंस्पायरिंग कहानी
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को करनाल में हुआ था। जिन्होंने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई थी, छोटी सी उम्र में ही कल्पना को उड़ान भरने का शौक था, भारत में अपनी प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने के बाद कल्पना ने इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और बाद में अंतरिक्ष यात्री बनने के सपने को पूरा करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं।

The Space Girl: कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को करनाल में हुआ था। जिन्होंने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई थी। छोटी सी उम्र में ही कल्पना को उड़ान भरने का शौक था। भारत में अपनी प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने के बाद कल्पना ने इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और बाद में अंतरिक्ष यात्री बनने के सपने को पूरा करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं। उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री में पीएचडी की। 1994 में कल्पना नासा में शामिल हुईं और अपने कौशल और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करते हुए कठिन प्रशिक्षण का अभ्यास किया। आपको बता दें कि कल्पना को सफलता 1997 में मिली थी, जब उन्होंने एक मिशन विशेषज्ञ के रूप में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया में उड़ान भरी और देश में अपनी अलग पहचान बनाई ।
स्पेस शटल में कैसे हुई थी कल्पना चावला की मौत
2003 में कल्पना ने फिर से अंतरिक्ष शटल कोलंबिया पर सवार होकर अपनी दूसरी अंतरिक्ष उड़ान शुरू की। दुख की बात यह है, इस मिशन में कल्पना चावला सहित उनके सभी साथी की मृत्यु हो गई और यह दुखद घटना 1 फरवरी 2003 को घटी और इस दुखद घटना ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। इस घटना से उन सभी के दिलों में डर बैठ गया जो उनके साहस और दृढ़ संकल्प की प्रशंसा करते थे। हालांकि कल्पना की विरासत अभी जीवित है। जो उनके सपनों के प्रति समर्पण उनका जुनून अनगिनत व्यक्तियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। उनकी स्मृति में देश के युवाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहन मिलता हैं। भारत के एक छोटे से शहर से सितारों तक की कल्पना चावला की यात्रा सपनों की शक्ति और मानव दृढ़ संकल्प की क्षमता का कार्य करती है। उनके जीवन की कहानी हमें यह याद दिलाती है, कि कोई भी बाधा इतनी बड़ी नहीं होती जिससे हम अपनी मंजिल को हासिल न कर सके।