शोहरत से भरपूर मगर, जिंदगी में तन्हा थी एशिया की पहली गायिका ‘गौहर जान’

हमारे देश में जहां एक तरफ बेटियों को लक्ष्मी का रूप माना जाता है, तो वहीं कुछ लोग बेटियों को अपनी हैवानियत का शिकार बना लेते है। आज हम आपको देश की एक ऐसी ही बेटी की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनके साथ छोटी सी उम्र में दुष्कर्म की घटना घटी थी, जिसका सदमा उन्हें  जिंदगी भर झेलना पड़ा था।

शोहरत से भरपूर मगर, जिंदगी में तन्हा थी एशिया की पहली गायिका ‘गौहर जान’
शोहरत से भरपूर मगर, जिंदगी में तन्हा थी एशिया की पहली गायिका ‘गौहर जान’

हमारे देश में जहां एक तरफ बेटियों को लक्ष्मी का रूप माना जाता है, तो वहीं कुछ लोग बेटियों को अपनी हैवानियत का शिकार बना लेते है। आज हम आपको देश की एक ऐसी ही बेटी की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनके साथ छोटी सी उम्र में दुष्कर्म की घटना घटी थी, जिसका सदमा उन्हें जिंदगी भर झेलना पड़ा था। लेकिन इस घटना से उभरते हुए, उन्होंने संगीत की दुनिया में अपना सिक्का जमाया और इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवाया। ये कोई और नहीं बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत के शिखर पर पहुंची गौहर जान थी, जिनका जन्म 26 जून 1873 को UP के आजमगढ़ के एक क्रिश्चियन परिवार में हुआ था।

गौहर जान का बचपन काफी गरीबी में बीता था, छोटी सी ही उम्र में उनके साथ एक ऐसी घटना घटी, जिसने गौहर को अन्दर से झकझोर कर रख दिया, दरअसल उन्हें 13 साल की छोटी सी उम्र मे हैवानियत का शिकार बनाया गया, लेकिन वे अपनी  जिंदगी की कठिनाईयों से लड़ते हुए। एशिया की पहली गायिका बनी और जिनका गाना गामोफोन से रिकार्ड किया गया था। उस समय में गौहर जान करोड़पतियों के गिनती में गिनी जाती थी और गौहर जान अपने एक गाने की रिकॉर्डिंग का चार्ज 3000 हजार रूपये लेती थीं। आपको बता दें कि गौहर अपने गानों के आखरी लाइन में अपना पूरा नाम MY NAME IS GAUHAR JAAN को अक्सर मेंशन किया करती थी, इसके साथ- साथ जब भी उन्हें कोई अपनी महफिल में संगीत गाने के लिए बुलाया करता था, तो वो अपने सफर के लिए पूरी  ट्रेन की डिमांड किया करती थी और उस ट्रेन में गौहर और उनके साथियों के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति उस दौरान सफर नहीं करता था। ये वो समय था, जब 20 रूपये तौला सोना बिकता था आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने अपनी पालतू बिल्ली की शादी में 1200 रू खर्च कर दिए थे।

गौहर जान जब एक बार इलाहबाद गई, तब वह ‘तवायफ जानकी बाई’ के यहां ठहरी और जानकी बाई से बोली कि मैं खान बहादुर अकबर इलाहाबादी से मिलना चाहती हूं। जिसके बाद जानकी बाई ने उन्हें अकबर इलाहाबादी से मुलाकात कराई परिचय देते हुए जानकी ने अकबर को बताया कि गौहर जान महशूर गायिका है, जिसके बाद अकबर इलाहाबादी ने शायराना अंदाज मे कहा कि जहनशीर मैं न नदी हूं, न इमान, न गौस, न कुतुब, न कोई बली पहले जज था, अब रिटायर होकर सिर्फ अकबर रह गया हूं, हैरान हूं कि आपकी खिदमत में क्या तोहफा पेश करू खैर आपको देखकर एक शेर याद आता है।

खुशनसीब भला आज कौन है, गौहर के सिवा
सब कुछ दे रखा, अल्लाह ने जिन्हे शौहर के सिवा

हां हम आपको बता दें कि गौहर के जिंदगी में हमसफर तो बहुत आए लेकिन नसीब में तन्हाई के सिवा कुछ भी न मिला। उन्होंने सैय्यद गुलाम अब्बास से शादी तो की थी लेकिन वे उनके तबला वादक थे, अब्बास गौहर से 10 साल छोटे थे शादी के बावजूद गौहर के जिंदगी में हमेशा तन्हाईयां ही रही क्योंकि अब्बास गौहर से नहीं बल्कि उनकी दौलत से प्यार करते थे, अपने पति  सैय्यद अब्बास के ही वजह से गौहर जान के अन्तिम दिन बेहद दर्द भरे गुजरे और 17 जनवरी 1930 को गौहर का देहांत हो गया।