दिल्ली में सर्दी से पहले ही वायु गुणवत्ता बेहद खराब, आने वाले दिनों में बढ़ेगी परेशानी
राजधानी दिल्ली में सर्दी शुरू होने से पहले ही हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है, जिससे शहर के निवासियों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 292 दर्ज किया गया, जो "खराब" श्रेणी में आता है। अनुमान है कि शनिवार को भी यह स्थिति बनी रहेगी, जबकि रविवार से हवा की गुणवत्ता और खराब हो सकती है।

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में सर्दी शुरू होने से पहले ही हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है, जिससे शहर के निवासियों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 292 दर्ज किया गया, जो "खराब" श्रेणी में आता है। अनुमान है कि शनिवार को भी यह स्थिति बनी रहेगी, जबकि रविवार से हवा की गुणवत्ता और खराब हो सकती है।
आनंद विहार और वजीरपुर में सबसे गंभीर स्थिति
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, आनंद विहार और वजीरपुर जैसे इलाकों में हवा की गुणवत्ता अति गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई है। इसके साथ ही, रोहिणी, द्वारका और अशोक विहार समेत 19 अन्य इलाकों में हवा बेहद खराब रही। खराब वायु गुणवत्ता का प्रमुख कारण दिल्ली में प्रदूषण के साथ-साथ आसपास के इलाकों में पराली जलाने से निकलने वाला धुआं है।
पराली जलाने और कूड़ा जलाने से बढ़ा प्रदूषण
भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के मुताबिक, दिल्ली में वेंटिलेशन इंडेक्स केवल 3000 वर्ग मीटर प्रति सेकंड रहा, जो औसत से काफी कम है। इस कारण से प्रदूषण के कण वायुमंडल में फंसे रहते हैं और हवा को साफ नहीं होने देते। डिसिजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 0.582% थी, जो शनिवार को बढ़कर 1.87% तक हो सकती है। इसके साथ ही, खुले में कूड़ा जलाने से उत्पन्न धुआं भी वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण रहा, जो शुक्रवार को 1.27% और शनिवार को 1.217% रह सकता है।
स्वास्थ्य पर असर
इस प्रकार की वायु गुणवत्ता से दिल्ली के नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही हालात बने रहे, तो आने वाले दिनों में दिल्ली की हवा "बेहद खराब" श्रेणी में पहुंच सकती है, जिससे सांस संबंधी बीमारियों के मामले बढ़ सकते हैं।